History of Sengol: जानें सेंगोल क्या हैं? जिसे नये संसद भवन में स्थापित किया गया हैं,सें गोल का पूरा इतिहास

History of Sengol:- शरीर पर केसरिया वस्त्र, माथे पर त्रिपुंड चं दन और गले में शैव परंपरा से जुड़ी मालाएं. शनिवार को पीएम आवास में जब इस वेशभूषा और सांस् कृतिक परंपरा की थाती समेटे कुछ लोगों का आगमन हु आ तो समय का वह दौर, उस पल का उदाहरण बन गया जब सत्त ा का संगम संस्कृति के साथ होता है. यह विशेष समय था तमिलनाडु के आधीनम महंत् लाकात का, जिसके लिए पीएम मोदी ने कहा कि आज मेरे न िवास स ्थान पर आप सभी के चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए सौभाग ्य का विषय है. मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां आकर आशीर्वाद देन े वाले हैं. इसके बाद रविवार सुबह विधि-विधान के साथ सेंगोल को संसद के नए भवन में स्थापित किया गया.

History of Sengol

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के नए संसद भवन में राजदंड ‘सेंगोल’ की स्थापना की। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों ” ें स्थापना की गई। दरअसल, ‘सेंगोल’ ीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है। ” ने आने के बाद इसे लेकर चर्चाएं होने लगी है कि आख िर सेंगोल क्या है, जिसे नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा।

History of Sengol

Sengol History Overview

कहा से शुरू हुई सेंगोल की चर्चा

एक दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता के प्रतीक ‘सेंगोल’ (राजदंड) की प्रथा क ो फिर से शुरू करने का ऐलान किया था. अमित शाह ने कहा कि सेंख ों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. शाह ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा नए संसद भवन के उ द्घाटन से पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त किया जाएगा. इसके बाद इसको इसे नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा.

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नए संसद भवन में कहा होगा सेंगोल का स्थान

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Source: vtt.edu.vn

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