Shiv ji Ki Aarti 2023: ालीसा का पाठ

॥ दोहा ॥जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥श्री शिव चा लीसा पाठजय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्ड लनागफनी के॥अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क ्षार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मो हे॥

मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्या री॥

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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जै से॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रवा रा॥

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तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

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त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन ब चाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु प ुरारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सद ाहीं॥

वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए वि हाला॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दी न्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं प ुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच् छित वर॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन नआवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आ नउबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबा रो॥

मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाह ीं॥

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अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अ ब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न 2

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवाव ैं॥

नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करा वे॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेश ा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनाव े॥

जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पा वे॥

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॥ दोहा ॥

नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।तुम मे री मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥

मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।स्तुति चाल ीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥

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Source: vtt.edu.vn

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