Hanuman Jayanti – े वाले और स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संक टमोचन हनुमान का अवतरण चैत्र माह में पूर्णिमा त ि थि को हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद हनुमान जन्म ोत्सव का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व विश्वभर में हनुमत भक्तों धूमधा म से मन ाया जाता है।
हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा-आराध ना का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि वि धान से महाबली हनुमान की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हनुमानजी को संकट मोचन कहा जाता है। इनके पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है। More information
Hanuman Jayanti
इस साल हनुमान जयंती 6 अप्रैल 2023, को मनाई जाएगी. हनुमान जयंती को देश में धूम धाम से मनाया जाता ह ै. हनुमान जयंती साल में दो बार पड़ती हैं. हनुमान जयंती को हनुमान जी के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है. इसकी वजह दो बताई जाती हैं. साल की पहली हनुमान जयंती चैत्र मास में पड़ती ह ै .चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के अ ा जन्म हुआ था.
इसीलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है. वहीं साल की दूसरी हनुमान जयंती दिवाली के पास प ड़ती है. दिवाली के पास पड़ने वाली हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मानते है ं. इस दिन भक्त बजरंगबली के लिए व्रत रखते हैं और पू रे विधिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं. इस दिन बजरंगबली के भक्त उन्हें प्रसन्न करने क े लिए कई तरह के अनुष्ठान और उपाय करते हैं. कुछ जगहों पर इस दिन शोभा यात्रा भी निकाली जाती है.
Hanuman Jayanti Overview
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हनुमान जन्मोत्सव का महत्व
More information प् ति होती है। ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा करते समय भगवान राम का पूजन अवश्य करें, क्योंकि प्रभु श्री राम की प ूजा के बिना हनुमान जी ख ।
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ऐसे हुआ था हनुमानजी का जन्म
पौराणिक मान्यता के अनुसार, बजरंगबली भगवान शिव January 11 ज ा केसरी और माता अंजनी हैं। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता ह ै और उनके पिता वायु देव भी माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अयोध् या नरेश राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए हवन कराया था। उन्होंने प्रसाद स्वरूप खीर अपनी तीन रानियों क ो खिलाया था। थोड़ी खीर एक कौआ लेकर उड़ गया। He लीन थीं। माता अंजनी को जब खीर प्राप्त हुई। She क र लिया। उस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद हनुमान जी का जन् महुआ।
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हनुमान जयंती की पूजा विधि
हनुमान जयंती का दिन हिन्दू धर्म में बहुत महत् वपूर्ण माना जाता है. इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्त ि को जीवन में संकटों से मुक्ति य ांति आती है. इस दिन भक्त हनुमान जी को सिंदूर या लाल वस्त्र औ र फूल की माला चढ़ाते हैं. हनुमान जी को लड्डू, हलवा, केला प्रसाद के रूप मे ं चढ़ाया जाता है. इस दिन षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमा नजी की आराधना करनी चाहिए.
कुंडली में शनि का अशुभ प्रभाव हो तो भी इस दिन व िधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा करने से लाभ मिलता ह ै. हनुमान जी की पूजा से शनि देव से जुड़ी सम्याएं भी दूर जाती हैं. इस दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण करने से हनुम ान जी जल्द प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही नकारात्मक शक्तियों से भी मुक्ति म िल जाती है.
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हनुमान मंत्र
- ऊँ हनुमते नमः
- ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः
- आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो: ह नुमान: प्रचोदयात
- ॐ रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि तन्नो: मार ुति: प्रचोदयात
- ॐ अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि तन्नो: म ारुति: प्रचोदयात
हनुमान जयंती व्रत की विधि
सभी संकटों से उबारने और सुख-सौभाग्य की वर्षा क रने वाले हनुमान जी की कृपा पाने के लिए हनुमान ज य ंती पर पूरे विधि-विधान से व्रत और पूजन करख िए. बजरंगी के नाम का व्रत रखने के लिए साधक को इस दि ड उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद हाथ में थोड़ा सा जल लेकर हनुमान जी के –
इसके बाद किसी हनुमान मंदिर में जाकर या फिर अपन े घर में हनुमान जी के चित्र के सामने लाल रंग के आ सन पर बैठकर उनकी विधि विधान से पूजा करना चाहिए. हनुमान जयंती के दिन बजरंगी की पूजा में लाल रंग के पुष्प और फल चढ़ाएं. हनुमान जी को गू ास के साथ सुंदरकांड का पाठ करें. हनुमान जी के व्रत में दिन में एक बार प्रसाद ग्र हण करें और ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करें.
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हनुमान जयंती व्रत का फल
हिंदू धर्म में पवनपुत्र हनुमान जी को एक ऐसे दे वता हैं, जो श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत, पूजन और सुमिरन करने पर शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं. महावीर हनुमान अपने भक्तों की परेशानी दूर करने के लिए एक आवाज में दौड़े चले आते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार बजरंगी के भक्त के पास कभी भी बुरी बलाएं नहीं फटकती हैं और वह अपने सभी ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है. हनुमान जयँ में पूरे साल सुख और सौभाग्य बना रहता ह ै.
हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाते हैं
हनुमान जंयती एक साल में दो बार मनाए जाने के पीछ े पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार, एक तिथि विजय अभिनन्दन महोत्स व तो दूसरी तिथि उनके जन्मदिवस के रूप में सेलिब् रेट किया जाता है। पहली कथा अनुसार, जब बाल हनुमान सूर्य को आम समझ कर उसे खाने के लिए आकाश में उड़ने लगे थे, तब राहु भी सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहते थे।
लेकिन, सूर्यदेव हनुमानजी को देखकर उन्हें दूसर ा राहु समझ लिया था। यह घटना चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था। तभी से इस दिन हनुमान जयंती मनाने की परंपरा शुर ूहुई। अन्य कथा के अनुसार, हनुमान जी की भक्ति और समर्प ण को देखकर सीता माता ने उन्हें अमरता का वरदान द िया था। इस दिन नरक चतुर्दशी थी। इस तरह साल में दूसरी हनुमान जयंती दिवाली से एक दिन पहले भी मनाई जाती है।
Frequently Asked Questions about Hanuman Jayanti
What’s up with you?
वर्ष में दो बार मनाई जाती है। पहली हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्ल प कैलेंडर के मुता ब िक मार्च या अप्रैल के बीच और दूसरी कार्तिक कृष ् ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी को अर्थात सि त ंबर-अक्टूबर के बीच।
शनिवार एक हनुमान दिवस है?
मंगलवार का दिन भगवान हनुमान की पूजा के लिए समर ्पित है लेकिन शनि से जुड़ी कथा के कारण शनिवार क ा दिन अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
What’s up with you?
जयंती का मतलब होता है किसी ऐसे व्यक्ति का जन्म दिन जो जीवित नहीं है. वहीं जन्मोत्सव का मतलब होता है जो व्यक्ति दुन िया में जीवित हो उसका जन्मदिन. इसलिए हम किसी को भी जन्मदिन की बधाई देते हैं तो शुभ जयंती नहीं बल्कि शुभ जन्मोत्सव कहते हैं.
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Source: vtt.edu.vn