Hariyali Teej :- अखंड सौभाग्य के लिए हर साल सुहागिनें हरिया ली तीज का व्रत करती हैं. सावन के महीने में आने वाली हरियाली तीज का दिन श ंकर और of her माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है. हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घाय ु,दा ंपत्य जीवन में प्रेम तथा भाग्योदय के लिए नि र्जला व ्रत करती हैं. हरी पू जा की जाती है. योग्य वर प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़कियां भी पूरे विधि-विधान से इस व्रत का पालन करती है. आइए जानते हैं इस साल हरियाली तीज की डेट, शुभ मु हूर ्त और महत्व.
Hariyali Teej
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष सावन मास के शु क्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जात ी है । 2023 January 19, 2023 January 19, 2023 ती की प ूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त व् रत उपवास भी रखा जाता है। More information ित लड़कियां करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत करन े से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप ्ति हो ती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। वहीं, अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग ब न ते हैं। More information
Hariyali Teej Overview
हरियाली तीज महोत्सव के बारे में सब कुछ
महीने म ें शुक्ल पक्ष के दौरान तृतीया तिथि को आता है। इस पवित्र दिन के अवसर पर, विवाहित हिंदू महिलाए ं ए क दिन का उपवास रखने का संकल्प लेती हैं। वे आनंदमय वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद पाने क े लि ए भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी 2 जा करते हैं। यह त्यौहार देश के उत्तरी भागों, अर्थात् उत्तर प्रदे श, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड म ें रहने वाली आबादी के लिए बहुत प्रासंगिकता रखत ा है। यह हरियाली तीज 2023 त्योहार तीन में से एक है; हालाँकि, अन्य दो, यानी कजरी तीज और हरतालिका , भ ाद्रपद और श्रावण के महीनों में भी मनाई जाती ह ैं।
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हरियाली तीज 2023 मुहूर्त (Hariyali Teej 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त ृत ीया तिथि 18 of 2023 2023 08 of 01 मिनट पर आरंभ होगी. May 19 2023 May 10 19 May 2023 ट पर होगा.
- सुबह का मुहूर्त – सुबह 07.47 – सुबह 09.22
- दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 12.32 – दोपहर 02.07
- शाम का मुहूर्त – शाम 06.52 – रात 07.15
- रात का मुहूर्त – प्रात: 12.10 – प्रात: 12.55 (January 20, 2023)
हरियाली तीज पूजा का महत्व
हिंदी में “हरियाली” शब्द हरे रंग को संदर्भित कर ता है । यही कारण है कि इस त्यौहार का नाम भारत में मानसू न क े महीनों के दौरान पृथ्वी की हरी-भरी हरियाली को दर्शा ता है। यह त्यौहार भगवान शिव और उनकी प्रिय पत्नी देवी पार ्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जात ा है। इस पवित्र त्योहार के अवसर पर महिलाएं देवी पार ्वती को बेलपत्र, फूल, फल और हल्दी लगे चावल चढ़ाती हैं। वे अपने पतियों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित क रने क े लिए देवी का आशीर्वाद लेने की कोशिश करती ह ैं। यह त्यौहार विवाहित महिलाओं के लिऎ ूर्ण है क्यों कि वे अपने विवाहित जीवन में सुख और समृद्धि कर लिए प् ार्थना करती हैं।
हरियाली तीज पूजा विधि
More information माना जाता है। भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद प ाने के लिए अनुष्ठानों को अत्यधिक सावधानी से किय ा जा ना चाहिए। More information चाहिए, विशेषकर पवित्र ब्रह्म मुहूर्त के दौरा, यानी सूरज उगने से दो घंटे पहले।
- पूजा करने के लिए स्नान करें और हरे रंग के कपड़े पहनें।
- पूजा कक्ष और चौकी को पवित्र जल से साफ करें।
- चौकी पर साफ लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं।
- देवी पार्वती, भगवान शिव और उनके पुत्र भगवान गण ेश क ी मूर्तियाँ बनाने के लिए जैविक मिट्टी का उप योग करे ं। यदि यह संभव न हो तो की धातु की मूर्तियों का भी उप योग कर सकते हैं।
- मूर्तियों को पूरे सम्मान के साथ चौकी पर रखें।
- चौकी के दाहिनी ओर घी या तेल का दीपक जलाएं।
- पूजा शुरू करने के लिए भगवान गणेश का आह्वान करे ं।
- शिव लिंग या भगवान की मूर्ति पर अक्षत लगाएं और उ स के सामने तांबे का कलश रखें और कलश के चारों ओर क लावा घुम ाएं।
- कलश पर सुपारी, कुमकुम, हल्दी और गंगा जल रखें।
- आम के पत्तों का उपयोग इस प्रकार करें कि पत्तों के स िरे कलश के अंदर के पानी को छूते रहें जबकि पत ्तों का सि ा खुला रहे।
- इसके बाद कलश के ऊपर छिलके सहित एक नारियल रखें।
- अपनी प्रार्थनाएँ ईमानदारी से करने का संकल्प ल ें।
- अपने हाथ साफ करें और मूर्तियों पर गंगा जल चढ़ा कर पू जा शुरू करें।
- भगवान शिव को धतूरा, चंदन और सफेद फूल चढ़ाएं जबक ि देवी को लाल फूल चढ़ाएं।
- देवी को सुहाग सामग्री का भोग लगाएं। सोलह श्रृंगार की इस किट में सिन्दूर, कुमकुम, मे हंद ी, काजल, हल्दी, आलता, चूड़ियाँ, लाल चुनरी आदि शामि लहैं।
- भगवान को प्रसाद या नैवेद्यम अर्पित करें।
- अगरबत्ती जलाएं और हरियाली तीज कथा पढ़ना शुरू करें ।
- पूजा आरती करके पूजा का समापन करें।
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हरियाली तीज से जुड़ी परंपराएं
सभी नवविवाहित महिलाओं के लिए सावन तीज अत्यंत म हत्व रखती है। हरियाली तीज की पूर्व संध्या पर, she उन्हें hers उमंग के साथ त्योहार मनाने के लिए अपने from her घर वापस बुलाया जाता!
सभी नवविवाहित महिलाओं के लिए सावन तीज अत्यंत म हत्व रखती है। हरियाली तीज की पूर्व संध्या पर, she उन्हें hers उमंग के साथ त्योहार मनाने के लिए अपने from her घर वापस बुलाया जाता!
- हरियाली तीज से एक दिन पहले ‘सिंजारा’ मनाया जाता है । More information ँ उपहार देने से होती है।
- यह दिन लड़कियों की हथेलियों पर मेहंदी लगाने क ो भ ी महत्व देता है। हथेलियों पर मेंहदी के जटिल पैटर्न और डिज़ाइन उनके च ेहरे पर खुशी लाते हैं। पैरों पर लाल रंग का तरल पदार्थ (अल्टा) लगाना पवि त्र विवाह बंधन का प्रतीक है।
- हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सास के पैर छूकर उन का आ शीर्वाद लेती हैं और बदले में उन्हें उपहार द ेती हैं। यदि किसी कारण से सास मौजूद नहीं है, तो पति की ओर से सबसे बड़ी भाभी या किसी अन्य बुजुर्ग महिला के साथ भ ी यह अनुष्ठान किया जा सकता है।
- महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करने के लिए सुंद र कपड ़े और आभूषण पहनकर अच्छे से तैयार होती हैं।
- वे हरे-भरे मैदानों में झूला झूलकर और खेलकर, प्र कृति के उ पहारों का आनंद लेते हुए इस त्योहार का आनंद लेते हैं । लोक गीत गाए जाते हैं और महिलाएँ उसकी धुन पर नाच त ी हुई घूमती हैं।
हरियाली तीज व्रत से जुड़े अनुष्ठान
इस दिन का उत्सव देश के विभिन्न हिस्सों में अलग- अ लग होता है; हालाँकि, इस त्यौहार से जुड़ी कुछ रस्में हैं जि न् हें पारंपरिक रूप से निभाया जाता है। More information here:
- भक्त पूजा करके भगवान शिव और देवी पार्वती के पु नर्म िलन का जश्न मनाते हैं। , साथ ही शमा मंत्र का पाठ किया जाता है।
- महिलाएँ हरे रंग की पारंपरिक पोशाकें पहनती हैं , विश ेषकर विवाहित महिलाएँ। इस शुभ दिन पर देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए द िन भर उपवास रखा जाता है।
- मेंहदी या मेहंदी इस दिन का एक महत्वपूर्ण तत्व है । परंपराओं के अनुसार मेहंदी लगाना शुभ या भाग्यश ाली माना जाता है।
- More information
- हार्दिक शाकाहारी व्यंजन सात्विक 2 र किये जाते हैं । इस दिन राजस्थान की विशेष मिट ्रिय होती है। यह पारंपरिक व्यंजन मानसून और सावन तीज के इस मौ सम में विशेष रूप से लोकप्रिय है। विवाहित महिलाएं अपना व्रत तोड़ने के लिए इसे ख ाती हैं। इस दिन से जुड़े अन्य स्वादिष्ट व्यंजन हैं- माल प ुआ, लड्डू, हलवा और खीर।
हरियाली तीज का ज्योतिषीय महत्व
शास्त्रों के अनुसार, यह दिन भक्तों के जीवन में अच् छे स्वास्थ्य और खुशियों का आगमन करने वाला म ाना जा ता है। विवाहित महिलाएं अपने जीवनसाथी के लिए कल्याण औ र स्वास्थ्य की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं, जब कि अ विवाहित महिलाएं एक ऐसा पति पाने के लिए भगवा न शिव More information े करते थे। भाद्रपद शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाए जाने वाले इस व ्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के ल िए बिना पानी पिए निpir तीज का अर्थ और भी महत्वपूर्ण ह ो जाता है क्योंक ि ज्योतिषीय रूप से इसी नक्षत्र के दौरान भगवान श िव ने देवी पार्वती से विवाह किया था और दुनिया मे ं संतुलन और व्यवस्थ ा स्थापित की थी।
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हरे रंग का महत्व
हमारे शास्त्रों में हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। यह प्रकृति और उसके प्रचुर उपहारों का रंग है। “हरियाली” का तात्पर्य उस हरियाली से है जो मानसू न के दौरान हमें घेर लेती है। More information है। चूँकि इस दिन हरा रंग बहुत महत्व रखता है, इसलिए पह नती ह ैं। हरी चूड़ियाँ सजाकर और अपनी हथेलियों पर ताज़ा मेहं दी लगाकर, महिलाएँ प्रार्थना करती हैं और पूर े दिन उपव ास रखती हैं। भले ही यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए इतना मह त्वपूर्ण है, लेकिन अविवाहित महिलाएं भी इस दि न सु योग्य पति के लिए प्रार्थना करती हैं। वे ऐसा पति चाहती हैं जो भगवान शिव जैसा हो।
हरियाली तीज: शास्त्रों के अनुसार
हिंदू धर्म एक अनोखा धर्म है जो किसी भी कहानी या क हानी को अपने असंख्य त्योहारों से जोड़ता है। देवी पार्वती और भगवान शिव के मेल-मिलाप के पवित ्र अव सर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार दिव्य जोड ़े के बीच प्रेम और दोनों के बीच मौजूद उपजाऊ बंधन का जश्न मना ता है। I love her ूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। 108. ान शिव को अपने of her
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने श्रावण मास के श ुक ्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां पार्वती को अपनी पत ्नी के रूप में स्वीकार किया था। More information है।
हरियाली तीज से जुड़ी किंवदंतियाँ
इस दिन से जुड़ी किंवदंतियों के अनुसार, देवी पा र्व ती भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती का अवतार थीं। उसकी नज़र Her और वह उससे प्रेम करने लगी। हालाँकि, एक तपस्वी होने और सती की दर्दनाक मृत् यु के दुःख में डूबने के कारण, भगवान शिव सांसारिक रिश्तो ं से कोई लेना-देना नहीं चाहते थे। उन्हें प्रसन्न करने के लिए, देवी पार्वती ने हि मालय म ें कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया। Ella न शिव ने उनके प्रति उनकी भक्ति को पहचान लिया।
भगवान शिव को उनके प्रति अपने प्रेम का एहसास हो ने के बाद उन्होंने विवाह कर लिया और तब से, देवी प ार्वती को “तीज माता” या “हरतालिका माता” के रूप में पूजा जाता है । इस प्रकार यह दिन उनकी शादी के अवसर को चिह्नित क रता है और देश के उत्तरी हिस्सों में महिलाओं द्व ारा मना या जाता है। शादी एक खूबसूरत रिश्ता है और यह त्योहार विवाह ित महिलाओं की इस रिश्ते के प्रति अटूट भक्ति को द र्शात ा है। वे सुखी वैवाहिक जीवन की तलाश के लिए कठोर व्रत र खती Yes े लिए अपनी निस्वार्थ इच्छा प्रदर्शित करत ी हैं।
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Source: vtt.edu.vn