Mohini Ekadashi – शाख मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है या ऐसा कहा जा सकता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की ऎ ोहिनी एका दशी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह दिन सभी पापों को नष्ट करन े वाला उत्तम दिन है।
धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? श्रीकृष्ण कहा कि हे राजेश्वर! इस एकादशी का नाम मोहिनी है। मैं तुम्हें ऐसी कथा कहता हूँ, जिसे गुरू वसिष्ठ ने श्री रामचंद्रजी से कही थी। एक समय श्रीराम बोले कि, हे गुरुदेव! कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे समस्त पाप और दुरूख का नाश हो जाए। मैंने सीताजी के वियोग में बहुत दुरूख भोगे हैं ।
Mohini Ekadasi
हिंदू समय सारिणी के अनुसार, 2023 आ रही है और हिंदु ओं के बीच मनाई जा रही है। More information ल े जन्मों में किए गए सभी बू । भारतीय प्रथाओं के अनुसार, मोहिनी भगवाड की छिपी हुई अभिव्यक्ति को दिया गया नाम है। , इसलिए इस दिन को ‘मोहिनी एकादशी ‘ जाने लगा।
हालाँकि, यह दिन वैशाख महीने में उत्तर भारतीय भ ; ” ‘ज्येष्ठो’ महीने के दौरान आती है, और मलयालम अनुसूची में, मोहिनी ए कादशी ‘एडवा’ के दौरान होती है। हिंदू उत्साही इस घटना को आनंदमय और समृद्ध जीव न जीने के लिए दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए मना ते हैं।
Mohini Ekadashi Overview
Also Check: Nicco Park Kolkata Ticket Booking
What’s up with you?
भक्त इस विशेष दिन पर मौन व्रत या कठोर मोहिनी एक ादशी व्रत का पालन करते हैं।
- प्रेक्षकों को सुबह जल्दी उठने और स्नान करने क े पश्चात साफ पोशाक पहनने की आवश्यकता होै।
- मोहिनी एकादशी व्रत की सभी रस्में आ िन) की पूर्व संध्या पर शुरू होती हैं।
- इस विशेष दिन पर, पर्यवेक्षकों को एक एकल सात्वि . सूर्यास्त की अवधि से पहले।
- More information ्त होती है।
- मोहिनी एकादशी व्रत के पालन के दौरान, पर्यवेक् षक किसी भी प्रकार के पाप या बुरे काम करने के लिए और झूठ बोलने के लिए भी प्रतिबंधित होते हैं।
- व्रत का समापन द्वादशी की पूर्व संध्या पर होता है जो बारहवाँ दिन होता है। सभी व्रतधारियों को अपने व्रत का समापन करने से पहले कुछ दान करने और ब्राह्मणों को भोजन कराने क ी आवश्यकता होती है।
- प्रेक्षकों को रात के दौरान सोने की अनुमति नही ं होती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अप ना पूरा समय मंत्रों को पढ़ने में लगाना चाहिए।
- ‘विष्णु सहस्रनाम ‘ जाता है।
- इस विशेष दिन पर, भक्त बड़े उत्साह और असीम भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
- एक बार सभी अनुष्ठान समाप्त हो जाने के बाद, भक्त आरती करते हैं।
- मोहिनी एकादशी की पूर्व संध्या पर दान करना अत् यधिक फलदायक माना जाता है। पर्यवेक्षकों को ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करने चाहिए।
- ‘ ” कि इस त्योहार की पूर्व संध्या पर दान और पुण्य क र ने वाले व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद कभी नरक नही ंजाते हैं।
Click Here:- Delhi to Goa Train Ticket Price and Time
What’s up with you?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि मोहिनी एकादशी का महत्व सबसे पहले भगवान कृष् ण ने राजा युधिष्ठिर को और संत वशिष्ठ ने भगवान र ा म को समझाया था।
- यधिक समर्पण और निष्ठा के साथ रखता है तो फलस्वरूप उस “
- प्राप्त पुण्य एक हजार गायों का दान कर्थ ों की यात्रा करने और यज्ञों को करने से प्राप्त ह ोने वाले के बराबर होते हैं।
- यह भी माना जाता है कि भक्त जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं और मोहिनी एकादशी के व ्रत का पालन करके मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- मोहिनी एकादशी के विस्तृत महत्व को जानने के लि ए, भक्त सूर्य पुराण पढ़ सकते हैं।
मोहिनी एकादशी कथा
एक राजा के पांच पुत्र थे। सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्ट्बुद ्धि। धृष्ट्बुद्धि पांचवा पुत्र था, वह बड़ा ही व्या वाला था। जुये आदि दुर्व्यसनों उसकी बड़ी आसक्ति थी। वह वेश्याओं से मिलने के लिये लालायित रहता और अ His name is his name. ता। राजा ने उससे तंग आकर उसे अपने राज्य से बाहर निक ाल दिया। वह वनों में जाकर रहने लगा और वह दर दर भटकने लगा ।
एक दिन पूर्व जन्म के संस्कार वश वह भटकते हुए भू ख-प्यास से व्याकुल वह महर्षि कौँन्डिन्य के आश् रम जा पहुँचा। ऋषि ने उसे सत्संगति का महत्त्व समझाया। इससे उस धृष्ट्बुद्धि का हृदय परिवर्तित हो गया । वह अपने किये पाप कर्मों पर पछताने लगा। तब महर्षि कौँन्डिन्य ने उसे वैशाख शुक्ल मोहिन ी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। She more information मल हो गई। इस प्रकार वह अपने पापों तथा दुःखों से मुक्त हो गया था। आज भी यह व्रत श्रद्धा के साथ किया जाता है।
See also: -Free Ullu Premium Account
एकादशी व्रत के दिन
मोहिनी एकादशी के अलावा, 23 एकादशी व्र त आते हैं ज ो हिंदू कैलेंडर के कृष्ण और शुक्ल पक् ष में आते हैं। इन सभी एकादशी तिथि हिंदू परंपराओं में बहुत मह त्वपूर्ण हैं और विभिन्न एकादशी नाम के साथ लोकप ् रिय हैं। . ी है।
क्र.सं. | हिंदू महीना | पक्ष | एकादशी व्रत |
1 | चैत्र | कृष्ण पक्ष | पापमोचनी एकादशी |
2 | चैत्र | शुक्ल पक्ष | कामदा एकादशी |
3 | वैशाख | कृष्ण पक्ष | वरूथिनी एकादशी |
4 | वैशाख | शुक्ल पक्ष | मोहिनी एकादशी |
5 | ज्येष्ठ | कृष्ण पक्ष | अपरा एकादशी |
6 | ज्येष्ठ | शुक्ल पक्ष | निर्जला एकादशी |
7 | आषाढ़ | कृष्ण पक्ष | योगिनी एकादशी |
8 | आषाढ़ | शुक्ल पक्ष | देवशयनी एकादशी |
9 | श्रावण | कृष्ण पक्ष | कामिका एकादशी |
10 | श्रावण | शुक्ल पक्ष | श्रवण पुत्रदा एकादशी |
eleven | भाद्रपद | कृष्ण पक्ष | अजा एकादशी |
12 | भाद्रपद | शुक्ल पक्ष | पार्श्व एकादशी |
13 | अश्विन | कृष्ण पक्ष | इंदिरा एकादशी |
14 | अश्विन | शुक्ल पक्ष | पापांकुशा एकादशी |
fifteen | कार्तिक | कृष्ण पक्ष | रमा एकादशी |
sixteen | कार्तिक | शुक्ल पक्ष | देवोत्थान एकादशी |
17 | मार्गशीर्ष | कृष्ण पक्ष | उत्पन्ना एकादशी |
18 | मार्गशीर्ष | शुक्ल पक्ष | मोक्षदा एकादशी |
19 | पौष | कृष्ण पक्ष | सफला एकादशी |
twenty | पौष | शुक्ल पक्ष | पौष पुत्रदा एकादशी |
twenty-one | माघ | कृष्ण पक्ष | षटतिला एकादशी |
22 | माघ | शुक्ल पक्ष | जया एकादशी |
23 | फाल्गुन | कृष्ण पक्ष | विजया एकादशी |
24 | फाल्गुन | शुक्ल पक्ष | आमलकी एकादशी |
मोहिनी एकादशी तारीख, शुभ मुहूर्त
May 12, 2022 गा.
एकादशी तिथि प्र follow
एकादशी तिथि समाप्त गुरुवार, January 12, 2022, 06:51 जे
मोहिनी एकादशी 2022 पारण समय- 12 मई को जो लोग व्रत रख ेंगे वे अगले दिन 13 minutes ण करेंगे.
– रहेगा.
द्वादशी तिथि का समापन – 13 min 05:42 min.
मोहिनी एकादशी व्रत के नियम
- एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें.
- एकादशी के दिन दाढ़ी, मूंछ या नाखून आदि न काटें.
- एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- एकादशी के दिन चावल न खाएं.
- तामसिक चीजों से दूर रहें.
Frequently Asked Questions About Mohini Ekadashi
What’s up with you?
मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है। भगवान श्रीहरि की कृपा से मृत्यु के बाद मोक्ष प ्राप्त होता है। मोहिनी एकादशी व्रत कथा सुनने से ही 1 हजार गायों के दान करने के बराबर पुण्य मिलता है। More information
What’s up with you?
एकादशी व्रत कोई भी कर सकता हैं. एकादशी व्रत महिला, पुरुष, बुजुर्ग आदि कर सकते ह ैं. घर का कोई भी सदस्य एकादशी का व्रत कर सकता हैं.
What’s up with you?
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत अ ूजा का संकल्प लें. / ो के समक्ष दीप जलाएं. मेवे आ दि अर्पित करें. भगवान विष्णु की पूजा में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें.
Related Post:-
More than 80 wishes for new beginnings
Bageshwar Dham Online Registration
Registration on HPCL business portal
Google History Delete all my activity
List of names of new districts of Rajasthan
Categories: Trending
Source: vtt.edu.vn